ज्ञानमार्ग क्या है?

 स्वयं को जानने की यात्रा में जिन मार्गो का  उल्लेख है उनमें से ज्ञानमार्ग सर्वोत्तम है। ज्ञानमार्ग में ज्ञानचक्षु के माध्यम से अपने आत्म स्वरूप के दर्शन होते है।

ज्ञानमार्ग मार्गहीन मार्ग है,बहुत छोटा सा मार्ग होता है।इस मार्ग में कोई विशेष साधना नहीं है परंतु यह अनुशासित मार्ग है।ज्ञानमार्ग एक व्यवस्थित जीवन शैली भी है। यहां केवल एक ही साधना है ,वो है अपने अज्ञान का नाश।

अज्ञान अर्थात अंधविश्वास, मान्यताओं, ऐसी कोई बात जो अविवेक पूर्ण हो उनका पूरी तरह से जड़ से नाश ज्ञान के द्वारा किया जाता है।जिस तरह प्रकाश होने पर अंधेरा लुप्त हो जाता हैं ,वैसे ही ज्ञान होने पर अज्ञान अपने आप ही दूर हो जाता है। 
ज्ञानमार्ग में मुख्य रूप से तीन तरह का ज्ञान दिया जाता है।1.आत्मज्ञान-: मैं क्या हूँ, मेरा तत्व क्या है,मेरा स्वभाव क्या है।
2.जगत (माया)का ज्ञान-: जगत के अनुभव क्यों,कैसे और इनका यथार्थ क्या है?
3.ब्रम्ह(अस्तित्व)का ज्ञान-:  संपूर्णता क्या है? इससे मेरा क्या संबंध।

ज्ञानमार्ग में सही और शुद्ध भाषा पर जोर दिया जाता है,ताकि बोलने ,सुनने में भाषा के अर्थ न बदल जाएं। शुद्ध भाषा और सटीक परिभाषाएं ज्ञान के प्रवाह को सुगम बनाती हैं।ज्ञान के साधन अपरोक्ष अनुभव एवम तार्किक दृष्टिकोण है ,क्योंकि हमारा अनुभव ही हमारा ज्ञान है।


इसके अतिरिक्त हमें अनुभवों का सत्य जानने के लिए  मानदंड भी निर्धारित किये जाते है।मानदंड के आधार पर ही सही और सटीक उत्तर अपने प्रश्नों का मिल सकता है।

ज्ञानमार्ग शीघ्र फल देने वाला मार्ग है।ज्ञानमार्ग ही अंतिम मार्ग है,इसके बाद कुछ जानना शेष नहीं होता है।ज्ञान मार्ग के अलावा भी अन्य मार्ग है- योग मार्ग,शक्तिमार्ग,  तंत्रमार्ग, भक्तिमार्ग, कर्मयोग मार्ग,आत्मसुधार मार्ग आदि ।

जो जिस मार्ग पर होता है वह उसी मार्ग की प्रशंसा करता है।मार्ग भिन्न हो चाहें किंतु लक्ष्य सभी मार्गों का एक ही है।अपने परम स्वरूप को जानना और परमानंद की प्राप्ति ही सभी मार्गों के साधकों का लक्ष्य है।

यह साधक पर निर्भर करता है कि उसे कौन से मार्ग में रुचि है।अपनी पसंद के मार्ग पर जाना और साधना करना साधक की इच्छा होती है।अपनी रुचि के मार्ग पर ही साधक की सफलता निश्चित होती है।अतः अपने गुरु के मार्गदर्शन के साथ अपने मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए।

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